लाकडाउन -42

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नजर उठाओ तो खौफ का,
मंजर नजर आता है।
झील सी आंखो मे,
समन्दर नजर आता है।

            ठहरी सी है जिन्दगी,
           कोरोना के भय से।
           घर मे भी मौत का,
           बवंडर नजर आता है।

जो हाथ रोजी रोटी,
कमाते थे काम कर के।
वही हाथ आज डरा सहमा, 
घर के अंदर नजर आता है।

            राम जाने क्या होगा आगे,
            असमंजस नजर आता है।
            क्या दिन थे वह भी सकून के,
             आज बंजर नजर आता है।
पशुपति नाथ सिंह की यह कविता कोरोना के ख़ौफ़ की बानगी है भारत अब मौत के मामले में भी छठे नम्बर पर पहुँच गया है और छत्तीसगढ़ में लाकडाउन छः अगस्त तक बढ़ा दी गई है दुनियाभर में कोरोना वायरस का तांडव जारी है. पिछले 24 घंटे में दुनिया में 2.12 लाख नए मामले सामने आए, जबकि 3989 लोगों की मौत हो गई. कोरोना संक्रमण के आंकड़ों पर नजर रख रही वेबसाइट वर्ल्डोमीटर के मुताबिक, दुनियाभर में अबतक एक करोड़ 66 लाख से ज्यादा संक्रमण के मामले आ चुके हैं, जबकि मरने वालों की संख्या साढ़े 6 लाख के पार पहुंच गई है. अभी तक 6 लाख 55 हजार से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है. वहीं इस बीमारी से ठीक होने वाले मरीजों का आंकड़ा 1 करोड़ के पार पहुंच गया है. दुनियाभर में अभी भी 57 लाख 56 हजार एक्टिव केस हैं और इनका इलाज जारी है.

दुनिया में कहां कितने केस, कितनी मौतें
अमेरिका अभी भी कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों की लिस्ट में सबसे ऊपर है. यहां अबतक 44.32 लाख से ज्यादा लोग संक्रमण के शिकार हो चुके हैं, जबकि एक लाख 50 हजार से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है. अमेरिका में पिछले 24 घंटों में 60 हजार से ज्यादा नए केस आए, जबकि 577 लोगों की मौत हुई. वहीं ब्राजील में भी कोरोना का कहर बरकरार है. ब्राजील में संक्रमण के मामले 24 लाख के पार पहुंच चुके हैं, जबकि 87 हजार से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं.


सूचिता लिखती हैं-
अवसाद_को_कहें_अलविदा

लॉकडाउन से पहले जब मैं नियमित रूप से exercise करने जिम जाती थी तो वहाँ और भी महिलायें-पुरुष (अलग-अलग देशों के) भी आते थे. मैं कुछ दिनों से गौर कर रही थी कि एक महिला कुछ परेशान सी रहती है. एक दिन मेरी जब उससे बातचीत हो रही थी तो उस बातचीत में उसकी परेशानी, नकारात्मक विचार, बीमारी जैसी बातें निकल कर आ रही थीं. थोड़ी और बात करने पर पता लगा कि उसे हमेशा नकारात्मक विचार ही दिमाग़ में आते हैं. और भी जो परेशानी थीं वह मुझे बता रही थी. मैंने उसे ध्यान और योगा करने की सलाह दी. उसे यह अच्छा लगा था और उसने ऐसा करने की सहमति भी मुझे दी थी. 

उसके बाद मेरी बातचीत इसी विषय पर जिम के instructor से होती रही. मैंने उसे बोला कि मेरी अभी तक कि पूरी ज़िंदगी में मुझे कभी भी इस तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा. वह भी मुझे हमेशा प्रसन्नचित्त प्रतिदिन देखता ही था तो वह मेरी इस बात से सहमत भी था. उसने बोला भी कि पता नहीं लोग बात-बात पर क्यों परेशान होने लगते हैं. 

वाक़ई मुझे न कभी इस तरह का अनुभव हुआ और न ही मैंने अपने आस-पास किसी को इस तरह की परेशानी से गुजरते देखा. मैंने अवसाद नाम का शब्द पहले शायद ही कभी सुना हो. ये तो जबसे Internet आ गया तब मीडिया के माध्यम से पता चला कि depression नाम की भी कोई बीमारी होती है. डिप्रेशन किस चिड़िया का नाम है ये तो पहले किसी को ज्ञान ही नहीं था. पूरे दिन खेलते, समय से स्कूल जाते, होमवर्क करते और मम्मी के साथ रसोई में बराबर हाथ बँटाते. बिना Internet के भी समय कैसे निकलता था पता ही नहीं चलता था. 

अभी भी प्रातः उठती हूँ सर्वप्रथम ईश्वर को 

‘’ कराग्रे वस्ते लक्ष्मी, करमध्ये सरस्वती।
   करमूले तू गोविन्द: प्रभाते करदर्शनम ।।’’

मंत्र के साथ याद करती हूँ. पृथ्वी माता के चरणस्पर्श करती हूँ. फिर दैनिक क्रियाकलापों में व्यस्त हो जाती हूँ. भगवान की पूजा पूरे मनोयोग से, भजन गाकर नियमित रूप से करती हूँ, पूरे गृहकार्य को प्रसन्नचित्त मन से, जिम्मेदारीपूर्ण तरीक़े से निभाती हूँ. ये सभी संस्कार मुझे विरासत में मिले हैं. 

प्रतिदिन लोगों से बातचीत करती हूँ. कभी भाई-बहनों से, किसी दिन सहेलियों से या रिश्तेदारों से. बच्चों के साथ या कहें परिवार के साथ अच्छा समय व्यतीत करती हूँ. कभी-कभी #मतभेद होते हैं लेकिन आज तक #मनभेद की स्थिति नहीं आई. और अवसाद की तो बात ही छोड़ दो....

कैसे कुछ लोग  इस स्थिति तक पहुँच जाते हैं जहाँ से अकेलापन और अवसाद की अवस्था प्रारम्भ हो जाती है? आप इस दुनिया में अकेले नहीं हैं फिर भी अकेलापन एक बीमारी के रूप में आ ही जाता है. शायद आधुनिकता की अंधी दौड़ ने हमारे संस्कारों को परे धकेल कर हमारे मस्तिष्क पर अपना क़ब्ज़ा जमा लिया है. और हम उसे ऐसा करने की इजाज़त भी दे रहे हैं. क्यों प्रतिदिन इस प्रकार के प्रकरण बढ़ते ही चले जा रहे हैं? जिसकी वजह से कोई-न-कोई परिवार किसी-न-किसी को खो रहा है. 

संयुक्त परिवार का जो चलन पहले था शायद वह भी इन समस्याओं को जन्म लेने ही नहीं देता था. अवसाद के नहीं घेरने का एक महत्वपूर्ण कारण संयुक्त परिवार का होना भी था. 

प्रकृति और पर्यावरण से जुड़ाव हर समस्या का समाधान है. अगर इस दिशा में सकारात्मक प्रयास किए जायें. परिवार और मित्रों से अगर आप हमेशा जुड़े रहेंगे तो इस प्रकार की समस्याओं से काफ़ी हद तक बचे रहेंगे. अगर कभी ऐसी स्थिति बने भी तो जब तक आप अपनी परेशानी, अपने लोगों से बाँटेंगे नहीं तो इस प्रकार की हदें हम तोड़ते रहेंगे. 

बच्चों की सफलता को देख माता-पिता का सीना कितना चौड़ा हो जाता होगा, यह तो माता-पिता ही बता सकते है. चार बहनों का भाई, बिना माँ का होनहार बेटा, गर्वित पिता को यूँ अकेला छोड़ कर चला गया. पूरा परिवार कितने कष्ट से गुज़र रहा होगा ये तो सिर्फ़ हम सोच ही सकते हैं. बहनों का राजदुलारा, एक तुच्छ सी बीमारी की वजह से इस संसार से विदा हो गया.

सफलता के साथ असफलता को स्वीकार करने की हिम्मत रखें. आपके जीवन की कहानी टूटे हुए टुकड़ों, भयानक विकल्पों और कुरूप सच्चाइयों से भरी हुई हो सकती है. लेकिन यह भी एक बड़ी वापसी, शांति और अनुग्रह से भरा हो सकता है जो आपके जीवन को बचा सक

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