लॉकडाउन -4
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रायसीना की पहाड़ी को उगते सूरज ने थोड़ी देर में ही अपने आग़ोश में ले लिया था। थोड़ी-थोड़ी देर में सुरक्षा गार्डो की चहलक़दमी ही इसकी शांति को भंग करती थी। हवा में गर्माहट बढ़ने लगी थी। रायसीना की पहाड़ी में स्थित एक दफ़्तर में ख़ुशी की गूँज सुनाई दे रही थी। चलो ! सरकार हमारी बन गई, तुम व्यर्थ ही चिंता कर रहे थे।अब तो शाम तक मुख्यमंत्री शपथ ग्रहण भी कर लेंगे।
जबकि समूचा देश कल से शुरू हो रहे चैत्र प्रतिपदा में, नवरात्र की तैयारी में लगा था। मंदिरो को सजाया जा रहा था। ज्योति कलश की स्थापना की तैयारी हो रही थी। शाम होते ही मंदिरो की लाईट जगमगा उठी। रंग-बिरंगे झालरो से मंदिर जगमगाने लगे। मंदिरो से देवी गीत के स्वर हवा में घुलने लगे। और लोग देवी गीत गुनगुनाने भी लगे थे । घर घर तैयारी थी।
मगर सरकार के भीतर कुछ और ही चल रहा था, इसलिए शाम के बाद जैसे ही समय ने रात के लिए क़दम रखा , देश भर में सम्पूर्ण लॉकडाउन की घोषणा कर दी गई। अचानक लोग बाज़ारों की ओर टूट पड़े। राशन की ख़रीदी में लोगों की बढ़ती भीड़ को देख कोई भी हैरान हो सकता था। समूची जनता में अविश्वास के अंधेरे ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया ।
21 दिन का लॉकडाउन ! 21 दिन घर से नहीं निकलना है। बस ! इतनी ही घोषणा हुई थी। दैनिक उपयोग की वस्तुओं के लिए क्या किया जाएगा, क्या होगा ? इसका कोई ख़बर नहीं। इसलिए अफ़वाहों का बाज़ार गर्म हो गया। जब जमाख़ोरी होगी तो कालाबाज़ारी भी होगी?
एक तरफ़ जहाँ जीवन के लिए आवश्यक वस्तु की चिंता थी तो दूसरी तरफ़ अपने घर लौटने की चिंता भी बड़ी तकलीफ़देह थी। कितने ही लोग जहाँ के तहाँ फँस चुके थे। उनकी आर्थिक स्थिति क्या है। उनके जेब में पैसे हैं कि नहीं और वे 21 दिन बाद लौट पाएँगे या नहीं !
लेकिन इन सबसे रायसीना की पहाड़ियों को क्या लेना-देना। क्योंकि मध्यप्रदेश में सरकार बनाने के चक्कर में फैलते कोरोना के संकट से बचने या स्वयं को बदनामी से बचाने का इससे बेहतर उपाय तो वह सोच भी नहीं पाया था, या यूँ कहे कि उसे सूझ ही नहीं रहा था।
सब कुछ थम सा गया था । नवरात्र का प्रथम दिवस और मंदिर बंद। उपासक चितकार उठे , लेकिन उनकी श्रद्धा का कोई मोल नहीं। महामारी के आगे सब बेबस नज़र आ रहे थे। सभी धार्मिक स्थलों में ताला लग चुका था । क्षण भर पहले की उछल-कूद करती ज़िन्दगी का प्रवाह लॉकडाउन हो चुका था।
क्या इंदिरा की आपातकाल का मतलब ऐसा ही रहा होगा ? अचानक कई लोगों ने कल्पना की। क्या आपातकाल में भी ज़िन्दगी जहाँ की तहाँ रुक गई थी। लोग घरों में क़ैद होकर रह गए थे। इस लॉकडाउन का साक्षी बने लोगों में से क्या आपातकाल के साक्षी नहीं थे ?
रायसीना की पहाड़ी का हलचल अब कल्याण मार्ग की ओर होने लगा था। महलनुमा इस बंगले में गोल मेज़ के चारों तरफ़ चार-पाँच लोग बैठे थे। कमरे की सजावट और ठाट -बाट से साफ़ था कि यहाँ बैठने वाले अति विशिष्ट लोग हैं। सभी शांत थे। बेचैनी घबराहट के निशान कहीं नहीं थे लेकिन वातावरण तनाव से भरा था।
अचानक दरवाज़े पर हलचल हुई तो उन पाँचो में से एक व्यक्ति हड़बड़ाकर खड़ा हो गया। नौकर ट्रे में चाय, पानी और कुछ नमकीन और मिठाइयाँ लेकर आया था। नौकर के जाने के बाद पाँचो ने एक लम्बा स्वाँस खींचा था।
राजवीर तुम व्यर्थ ही चिंता करते हो, जनता को लॉकडाउन के पालन करने में कोई दिक़्क़त नहीं होगी और विपक्ष भी ज़्यादा कुछ बोलने की स्थिति में नहीं है।
हाँ, प्रत्युष अभी भी लोगों का सरकार पर से भरोसा उठा नहीं है , तुम देखे नहीं! किस तरह से जनता कर्फ़्यू के दिन लोगों ने ताली-थाली बजाने में उत्साह दिखाया है। विरोधी आलोचना करते रह गए । किसी ने नहीं सुनी।
इस बीच सभी ने चाय पीनी शुरू कर दी , अभी वे पूरी चाय पी भी नहीं पाए थे कि दरवाज़े पर फिर हलचल हुई । पाँचो चाय का कप टेबल पर रखते हुए खड़े हो गए।
सब ठीक हो गया, लोग लॉकडाउन में जीने तैयार हो गए। कुछ खाओ भी ! चिंता छोड़िये , विपक्षी कुछ नहीं बोल पाएँगे ये कहते कहते आने वाले ने अपने गंजे सिर पर हाथ फेरते हुए सभी को बैठने का इशारा किया और ख़ुद ही एक कुर्सी खिंचकर बैठ गए। यह अन्य कुर्सियों से थोड़ा विशेष था ।
व्याकुल राजवीर ने कहा लेकिन अभी -अभी ख़बर आई है कि कई राज्यों में कोरोना के मरीज़ बढ़ रहे हैं, और कहीं कहीं लॉकडाउन की वजह से बाज़ार में माहौल ख़राब हो रहा है। पुलिस बल का प्रयोग तक करना पड़ रहा है ।
इसके लिए किसी को चिंता करने की ज़रूरत नहीं है । हर राज्य सरकार अपने यहाँ क़ानून व्यवस्था को लेकर चिंतित होंगे और पुलिस के डंडे के ज़ोर पर सब ठीक हो जाएगा। अरे भई ! अचानक हुआ है तो थोड़ी बहुत ऊँच-नीच तो होगी ही।
राजवीर कुछ भी न बोल सका । उसने केवल मुस्कुरा दिया । तभी एक सूट-बूट पहने बैठा अधिकारी ने खड़ा होते हुए कहा- मैंने सारी योजनाएँ तैयार कर ली है। पूरे 21 दिन का ख़ाका खींच लिया है। राज्यों को लॉकडाउन का पालन कड़ाई से करने का निर्देश जारी कर दिया गया है।
चलिए सब ठीक होगा, अब विलम्ब तो हमसे ही हुआ है । हाँ कोई गड़बड़ी न हो , इसलिए हर ख़बर पर नज़र रखी जाय। और हाँ हमारे विरोधी दलों वाले राज्यों पर विशेष नज़र रखी जाय, क्योंकि वे ही जनता को उकसा सकते हैं। गाईड लाईन के अलावा राज्यों की स्थिति पर विशेष ध्यान दें। बाक़ी काम आई टी सेल को समझा दिया गया है । मीडिया को भी समझा दिया गया है कि ऐसी कोई ख़बर न दिखाए जिससे koरोना के ख़िलाफ़ सरकार जो जंग लड़ रही है वह कमज़ोर ना पड़े। यह कहते हुए उसने ज़ोर से हँसा।फिर कुर्सी से उठ खड़ा हुआ।
मीटिंग समाप्त हो गई थी , सबके चेहरे पर संतोष साफ़ दिख रहा था । थोड़ी देर में सब अपने अपने गंतव्य की ओर क़दम उठा चुके थे ।
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