लॉकडाउन -30
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इस मुश्किल दौर में भी केंद्र सरकार की रीति नीति को लेकर सवाल नहीं उठाए जा रहे हैं तो इसकी वजह सत्ता की रईसी है जो कोई भी दल के नेता नहीं छोड़ना चाहते जबकि आम जनमानस ख़ासकर मध्यम वर्ग लाचारी से मुँह ताक रहा है । सोशल मीडिया में सरकार की रीति नीति को लेकर कोई तंज कस रहा है तो कोई व्यंग लेकिन सत्ता अपने में मस्त है। अब सभी कह रहे हैं कि आने वाला समय बेहद मुश्किल भरा होगा ।
विशाल शर्मा का पोस्ट देखिए आप को भी मज़ा आएगा देश रंगीला... रंगीला देश मेरा रंगीला
देश में हर दिन घटती इतनी सारी नौटंकियां कि जब से कोरोना आया हैं उसे भी मजा आने लगा होगा कि मेरे आने पर किसी ने भाव ही नहीं दिया क्योंकि उस समय तो महाराज और उनके पट्ठों की बैंगलुरू में आवभगत चल रही थी फिर मामाश्री (हाँ वही बिना मास्क वाले) कहने को जैसे तैसे मुख्यमंत्री बने तब जा कर चैनल वालो ने कोरोना को TRP दी लेकिन फिर कभी जमाती आगे तो मौलाना पीछे फिर कभी नेपाल तो कभी चीन बीच बीच में कोरोना , फिर तो कोरोना को भी देखने में मजा आने लगा कि वाह यार यहां तो एक दिन बोर नही हो सकते कि जैसा एक अमेरिकी इतिहासकार ने सही बोला था कि भारत एक ऐसा देश हैं जहां पर आप एक भी दिन बोर नहीं हो सकते, फिर एक दिन सोचा होगा चलो निकला जाएं कि अब इज्जत कम होने लगी हैं तो अचानक विकास पैदा हो गया जिस नाम का ये देश इतने साल से इंतजार कर रहा था और जबरदस्त मजेदार कि वो दिखा भी तो मंदिर में बस फिर क्या था कोरोना सोचा रुक ही जाऊं जिस देश को विकास और मंदिर की जरूरत थी वो दोनों एक साथ अब तो ये किस्सा भी देख ही लिया जाए , देखा तो पाया कि अरे ये किस देश में आ गया रे बाबा यहां तो समतल सड़क पर गाड़ी पलटा देते हैं अब तो निकल ले भाई इसी में भलाई हैं वरना तेरी फाइल निपटने में देर न लगेगी लेकिन इतने में वो राजस्थान का पायलेट राफेल की सवारी को आतुर हो गया तो फिर कोरोना ने सोचा कि अरे गज़ब ही हैं भाई मतलब मीडिया को तो हर दिन चाल मिल जाती हैं कि बच्चन परिवार से फ्री भी नहीं हुए और राजस्थान सरकार अल्पमत में, उफ्फ फिर लालच जागा कि बस ये मज़ेदार चीज भी देख ही लूं ...
और इस तरह कोरोना हैं कि जाने का नाम ही नहीं लेता और लेता भी होगा तो हमारा देश ही रोक लेता होगा !!!
दिलीप मिश्रा ने तो प्रधानमंत्री मोदी के नाम चिट्ठी लिखी है, और वे कहते हैं कि पढ़िए और इतना फैला दीजिये कि स्वयं प्रधानमंत्री तक पहुंच जाए.
भारत के प्रधान-सेवक को मेरा शास्त्रांग दंडवत प्रणाम!
ब्रह्मांड के किसी भी ग्रह पर आप जैसा लोकप्रिय, जननायक, दूरदर्शी शासक नहीं है. आप हैं, इसीलिए हम हैं. कोरोना की इस बेला में आप अपना बहुमूल्य जीवन मुश्किल में डालकर लगातार हम सबके बीच हैं, इसके लिए आपका बहुत-बहुत आभार.
दुनिया के तमाम विकसित देश जब कोरोना की महामारी से बुरी तरह जूझ रहे हैं तब आप की ही दूरदर्शिता का परिणाम है जिसके कारण हमारा देश इस बीमारी को लगातार मात दे रहा है. इसके लिए हम सब आपके कृतज्ञ हैं.
सबसे पहले ‘ताली-थाली’ के आपके अद्भुत प्रयोग ने देशवासियों के मन-मस्तिष्क में पनप रहे बीमारी के डर को कम किया. फिर ‘दिया-बाती’ कार्यक्रम आयोजित करके आपने न केवल भारत बल्कि सम्पूर्ण विश्व में उजाला कर दिया. एक ऐसी दिव्य ज्योति जिसके प्रज्वलित होने भर से आत्मीय शांति का सुखद एहसास हुआ. दुनिया जब बीमारी के तिमिर में अपना उत्साह खो रही थी तब आपके इन अथक प्रयासों से एक आलौकिक ऊर्जा का संचार हुआ. आपने देशवासियों को विश्वास दिलाया कि हम इस तरह के मदमस्त क्रियाकलापों से कोरोना को भ्रमित कर देंगे और हुआ भी वही. आज देश में लगातार कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ रही है लेकिन हमारा डर लगातार कम हो रहा है. इस सबका श्रेय आपको ही जाता है.
हम सबका सौभाग्य है कि इस मुश्किल घड़ी में भी हमें लगातार आपका साथ मिल रहा है. टीवी पर आपके दर्शन का लाभ हमें 24 घंटे मिलता ही रहता है. आपके दर्शन मात्र से हमारे आधे दुख-दर्द खत्म हो जाते हैं. रात 8 बजे वाला आपका विशेष शो देखकर तो मेरे मुख से अनायास ही अहा! अदभुत! अविश्वसनीय! अकल्पनीय! जैसे शब्द निकल जाते हैं. टीवी पर आपको देखकर मैं आरती का घंटा हाथ में ले लेता हूँ और सिर्फ आपके श्रीमुख को ही निहारता रहता हूँ. कभी-कभी आरती भी गा लेता हूँ–“आरती कीजै नरेंद्र लला की.
कोरोना दलन गुजरात कला की.”
आपके ‘मन की बात’ ऐसी कि मानो आप अपने नहीं, हम आम-जन के मन की बात कर रहे हो. समय-समय पर आपने नया-नया गमछा मुँह पर लपेट कर हमें संदेश दिया कि हर बार फेंकने से ही नहीं होता है कभी-कभी लपेटना भी होता है और इस बार हम सभी को मिलकर मुँह पर कपड़ा लपेटना है. जो कपड़ा न लपेटे उसे रोकना है, टोकना है और समझाना है.
इस कोरोना-काल में आप लगातार दुनिया भर के आर्थिक-सामाजिक क्षेत्रों की हस्तियों से सलाह-मशविरा करते हुए दिखते रहे. सब आप कर रहे थे लेकिन आपने कभी भी ख़ुद को कोई श्रेय नहीं दिया. दूसरों का श्रेय हड़पने की आदत, आप जैसे सरल आदमी की कभी नहीं रही. झूठ-फ़रेब से तो आपका दूर-दूर तक कोई नाता नहीं है.
जिस दिन आपने सचिन, मैरीकॉम और सिंधू जैसे खिलाड़ियों से कोरोना की चर्चा की उस दिन मेरे मन में विचार आया कि इतना दूर तक आप के अलावा कोई ओर सोच ही नहीं सकता था.आप ही कहते रहे हैं कि परमात्मा ने आपको बनाते समय आपके मस्तिष्क में ऐसा सॉफ्टवेयर डाला है कि आप कभी छोटा नहीं सोच सकते हैं.आप सच ही कहते हैं.
मुझे यकीन है कि स्वर्ग लोक में बैठे नेहरू, जिन्हें आप अक्सर याद करते ही रहते हैं , आपके योगदान पर प्रफुल्लित हो रहे होंगे. देव-दानव ,सुर-असुर,गंधर्व, नाग, किन्नर,नर-नारी सभी आप पर आकाश से पुष्प वर्षा करते होंगे. आपके अतुलित बल, बुद्धि, विवेक को देखकर देवराज इंद्र का सिंहासन भी बार-बार हिल जाता होगा. ब्रह्मा जी अपने इसी अद्भुत शिल्प से कई बार फुले नहीं समाते होंगे, उन्होंने सॉफ्टवेयर ही नहीं हार्डवेयर भी मजबूत बनाया है.
मुझे ये भी यकीन है जब कभी कोई दुष्ट आत्मा आप पर आरोप लगाती है, आपका विरोध करती है तब क्षीरसागर में आराम कर रहे भगवान विष्णु अपनी निद्रा से जाग जाते होंगे. कैलाश पर्वत पर शिव जी अपना तीसरा नेत्र खोलकर तांडव शुरू कर देते होंगे.
कोरोना काल क्या, आपके सकल-जीवन काल के योगदान को हमारी सात पीढ़ियां याद रखेंगी और आपकी आभारी रहेंगी. सच पूछिए तो कभी -कभी आप पर इतना प्रेम आता है कि मन करता है कि आपके चरणों को धोकर पी जाऊं पर मुझ बदनसीब की किस्मत में ये कहाँ? इसलिए आपके फोटो को मैं अपने पर्स में रखता हूँ और जब-जब प्रेम उमड़ता है आपकी फोटो को चूम लेता हूँ.
आपका एक बार फिर कोटिशः धन्यवाद!~आपका एक परम भक्त
दिलीप मिश्रा
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