लॉकडाउन -31
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एक तरफ़ पूरी दुनिया के सभी देश की सत्ता कोरोना से लड़ने का उपाय ढूँढ रहे थे या अपनी जनता के साथ खड़ी थी तो भारत में सत्ता अपनी रईसी बरक़रार रखने का उपाय ढूँढ रही थी। सरकार के पास आर्थिक संकट के हालात थे और अब तक 23 कम्पनी को बेच चुकी सत्ता पैसे का प्रबंध करने डिफ़ेंस , स्पेस और कृषि जैसे पर नज़र लगा चुकी थी, रेलवे हवाई जहाज़ जैसी चीज़ें तो बच नहीं रही और ये सब सत्ता की रइसी बचाने की जा रही थी। हैरानी की बात तो यह भी है कि समाज सेवा का दावा करने वाले जनप्रतिनिधि अपना एक माह वेतन तक छोड़ने तैयार नहीं हैं।
कोरोना वायरस ने दुनियाभर के 200 से ज्यादा देशों को अपनी चपेट में ले लिया है। हर दिन कोरोना संक्रमण और इससे होने वाली मौतों का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है। इस महामारी से निजात पाने के लिए पूरी दुनिया को कोरोना वायरस की वैक्सीन का इंतजार है। भारत, अमेरिका, ब्रिटेन, चीन, रूस समेत दुनियाभर के वैज्ञानिक इसकी वैक्सीन तैयार करने में लगे हैं। कई देशों में इसकी वैक्सीन बन चुकी है, जिनका ह्यूमन ट्रायल चल रहा है। कई वैक्सीन तो अंतिम चरण के ट्रायल में हैं। ट्रायल के दौरान सकारात्मक परिणाम आने से वैज्ञानिक उत्साहित भी हैं। अब तो लोगों को बस उम्मीद है कि जल्दी ही कोरोना की वैक्सीन को लेकर कहीं से अच्छी खबर आ जाए। आइए जानते हैं दुनिया के तमाम वे देश, जो वैक्सीन बनाने की रेस में आगे चल रहे हैं, वहां इसको लेकर क्या अपडेट जानकारी है:
जिस देश ने दुनिया को कोरोना वायरस दिया, वह वैक्सीन की रेस में भी अग्रणी देशों में शामिल है। चीन में चार संभावित कोरोना वायरस वैक्सीन विकसित की जा रही हैं। समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, यहां एक वैक्सीन ट्रायल के अंतिम फेज में पहुंच चुकी है, जबकि एक अन्य वैक्सीन को भी सीमित लोगों पर ट्रायल की अनुमति मिल गई है।
चीन की पहली वैक्सीन फार्मा कंपनी सिनोवैक बायोटेक ने तैयार की है। वुहान इंस्टीट्यूट और सीनाफॉर्म्स दूसरे चरण में हैं जबकि सिनोवैक और इंस्टीट्यूटो बुटेंटेन वैक्सीन को विकसित करने के तीसरे चरण में हैं।
रूस के सेचेनोव यूनिवर्सिटी ने दावा किया है कि दुनिया की सबसे पहली कोरोना वैक्सीन को बाजार में सितंबर तक उपलब्ध करा दिया जाएगा। रूस का दावा है कि Gam-COVID-Vac Lyo नाम की इस वैक्सीन के अबतक हुए सभी चरणों के ट्रायल सफल रहे हैं।
वैज्ञानिक एलेक्जेंडर गिंट्सबर्ग के मुताबिक इसे इंसानों को एक बार लगाने पर दो साल तक के लिए कोरोना के खिलाफ इम्यूनिटी यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाए रखेगी। तीसरे चरण के लिए इसे अगस्त में लॉन्च किया जा सकता है। अंतिम चरण में कुछ काम शेष है। सबकुछ ठीक रहा तो इस वैक्सीन को बाजार में सितंबर तक उपलब्ध होगी।
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका की इस वैक्सीन के ट्रायल के फाइनल नतीजे जारी होने को लेकर आईटीवी नेटवर्क के पॉलिटिकल एडिटर रॉबर्ट पेस्टन ने सूत्रों के हवाले से दावा किया था। शोधकर्ताओं के मुताबिक, ट्रायल के नतीजों के डेटा पब्लिकेशन के लिए साइंटिफिक जर्नल के अप्रूवल का इंतजार किया जा रहा है। इस वैक्सीन का उत्पादन AstraZeneca कंपनी करेगी। वहीं, भारतीय कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) भी इस परियोजना में शामिल है।
भारत में आईसीएमआर और भारत बायोटेक की ओर से तैयार वैक्सीन 'कोवाक्सिन' का ह्यूमन ट्रायल शुरू हो चुका है। कंपनी ने Covaxin के ट्रायल के लिए 14 जगहों के करीब 1500 वॉलेंटियर्स यानी स्वयंसेवकों को शामिल किया है। इन 14 जगहों में नई दिल्ली, गोवा, गोरखपुर, भुवनेश्वर, रोहतक, चेन्नई, पटना, कानपुर, विशाखापट्नम और हैदराबाद शामिल हैं। बुधवार को पटना एम्स में वॉलेंटियर को पहली डोज देकर चार घंटे पर्यवेक्षण किया गया। वैक्सीन का दूसरा डोज 14 दिन बाद दिए जाने की बात कही गई है।
भारत बायोटेक की 'कोवाक्सिन' (COVAXIN) के बाद अब अहमदाबाद स्थित फार्मास्यूटिकल कंपनी जाइडस कैडिला हेल्थकेयर लिमिटेड ने भी ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) द्वारा अनुमति के बाद अपनी वैक्सीन 'जायकोव- डी' का ह्यूमन ट्रायल शुरू कर दिया है। ट्रायल के विभिन्न चरणों में कंपनी देश में करीब एक हजार लोगों पर वैक्सीन का परीक्षण करेगी। यह दूसरी भारतीय कंपनी है जिसे ह्यूमन ट्रायल की अनुमति मिली है।
कोरोना की वैक्सीन तैयार करने में अन्य देश भी प्रयासरत हैं। जर्मनी की बात करें तो यहां बायोएनटेक, पीफाइजर और फोसन फार्मा कोरोना की संभावित वैक्सीन बनाने के दूसरे चरण में पहुंच चुके हैं। वहीं, ऑस्ट्रेलिया का वैक्सीन पैटी लिमिटेड और मेडिटॉक्स पहले चरण में है। इस्रायल भी पहले कोरोना की वैक्सीन को लेकर दावा कर चुका है, हालांकि अबतक वैक्सीन उपलब्ध नहीं हो पाई है।
ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी कोरोना वैक्सीन ह्यूमन ट्रायल सफल होने की खबर है। ब्राजील में ChAdOx1 nCoV-19 (AZD1222) वैक्सीन के ह्यूमन ट्रायल के बेहतरीन नतीजे आए हैं। वैक्सीन से वॉलेंटियर्स में वायरस के खिलाफ इम्यूनिटी विकसित हुई है। वैज्ञानिकों को भरोसा है कि सितंबर तक यह वैक्सीन उपलब्ध करा दी जाएगी। ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन को कोरोना के लिए सबसे कारगर माना जा रहा है।
ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी वाली वैक्सीन के अलावा एक अन्य वैक्सीन भी रेस में शामिल है। लंदन के इंपीरियल कॉलेज में 300 लोगों पर इस वैक्सीन के ट्रॉयल का नेतृत्व कर रहे प्रोफेसर रॉबिन शटोक का कहना है कि जानवरों पर किया ट्रॉयल सफल रहा है। इंसानी शरीर पर वैक्सीन के ट्रायल में इस चरण में यदि कामयाबी मिली तो हम अगले चरण में करीब 6,000 लोगों पर इसका ट्रायल करेंगे। उन्होंने कहा कि योजना के मुताबिक सब सही रहा तो भी यह वैक्सीन इस साल के अंत तक उपलब्ध नहीं हो सकेगी। यानी यह अगले साल ही आ पाएगी। बताया जा रहा है कि वैक्सीन का प्रयोग सफल रहा तो लोगों को इसकी डोज 300 रुपये से भी कम में उपलब्ध होगी।
अमेरिका में मॉडर्ना कंपनी के अलावा बायोटेक कंपनी इनोवियो (Inovio) ने भी अपनी INO-4800 के बारे में दावा किया है कि इसके प्रयोग से इंसानों में इम्यूनिटी बढ़ी और कोई साइडइफेक्ट भी नहीं हुआ। कंपनी का दावा है कि वैक्सीन का 40 लोगों पर ट्रॉयल किया गया और यह 94 फीसदी सफल रही है। हालांकि इस वैक्सीन का अभी वृहद स्तर पर ट्रायल होना बाकी है।
अमेरिका में वैक्सीन बनाने वाली कंपनी मॉडर्ना ने कहा है कि वह 27 जुलाई से मानव परीक्षण का अंतिम चरण शुरू कर सकती है। वह 87 स्थानों पर ट्रायल करेगी। कंपनी का दावा है कि पहले चरण के ट्रायल में करीब 45 लोगों को यह वैक्सीन दी गई, जिनमें यह कोरोना के खिलाफ इम्यूनिटी पैदा करने में सफल रही और वायरस से लड़ने के लिए एंटीबॉडी भी विकसित हुई। बुधवार को अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने भी वैक्सीन को लेकर जल्द अच्छी खबर आने का ट्वीट किया था।
थाईलैंड से भी वैक्सीन को लेकर एक अच्छी खबर है। अपनी वैक्सीन का बंदरों और चूहों पर ट्रायल की सफलता के बाद सितंबर से इसका ह्यूमन ट्रायल शुरू करने का दावा किया जा रहा है। द मिंट की एक खबर के मुताबिक, बंदरों और चूहों पर ट्रायल के दौरान कोरोना से लड़ने के लिए पर्याप्त एंटीबॉडी बनती देखी गई है। विशेषज्ञों ने उम्मीद जताई है कि ह्यूमन ट्रायल का पहला चरण सितंबर से और दूसरा चरण दिसंबर से शुरू हो जाएगा। ट्रायल के लिए सेन डिगो और वेंकूवर में 10,000 डोज तैयार की जा रही हैं।
पेइचिंग तकनीक संस्थान और बायोटेक फर्म कनसीनो ने मिलकर इस वैक्सीन को तैयार किया है। फिलहाल यह वैक्सीन ह्यूमन ट्रायल के दूसरे फेज में है। चीन और कनाडा में फिलहाल इसका ट्रायल चल रहा है। खबरो के मुताबिक, जिन 125 लोगों को इस वैक्सीन की डोज दी गई, उनमें कोरोना वायरस से लड़ने की एंटीबॉडी विकसित हो गई है। फिलहाल इंसानों पर इसका ट्रायल चल रहा है, जिसके नतीजे एक महीने के अंदर आने की संभावना जताई गई है।
माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स ने भारत पर भरोसा जताया है। उन्होंने कहा है, "मुझे विश्वास है कि भारत के फॉर्मा उद्योग को कोरोना की वैक्सीन बनने में सफलता मिलेगी, जिससे दुनिया के दूसरे देशों को भी राहत मिलेगी।" गेट्स के मुताबिक, दुनिया के विभिन्न हिस्सों में कम से कम 115 वैक्सीन पर काम चल रहा है, जिनमें से छह में भारतीय कंपनियां सक्रिय हैं।
भारत में प्रधानमंत्री के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार डॉ. के. विजयराघवन ने पिछले दिनों कहा था कि भारत में थोक में वैक्सीन निर्माण की क्षमता बेहद ज्यादा है। उनका कहना था कि वैक्सीन कोई भी बनाए, भारत की भूमिका को नकारा नहीं जा सकेगा। मालूम हो कि ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की रिसर्च पर भी भारतीय कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया वैक्सीन का उत्पादन करेगी।
रिलायंस इंडस्ट्री की 43वीं एजीएम (RIL 43rd AGM 2020) में पहली बार संबोधित करते हुए रिलायंस फाउंडेशन की चेयरपर्सन और फाउंडर नीता अंबानी ने भरोसा दिलाया है कि कोरोना वायरस की वैक्सीन (COVID-19 Vaccine) बनने के बाद कंपनी पूरे देश में इसकी उपलब्धता सुनिश्चित कराएगी। उन्होंने कहा है कि इसके लिए कंपनी अपने सप्लाई चेन नेटवर्क की मदद लेगी।
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