लॉकडाउन -34

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स्थिति दिनो दिन ख़राब होने लगी थी लेकिन लोगों के सामने जीवन चलाना बड़ा सवाल था इसलिए वे बचाव तो कर रहे थे लेकिन बच नहीं पा रहे थे। मौतों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा था , कई मौतें दिल को दहलाने वाली थी कहीं घर का मुखिया इसकी चपेट में था तो कहीं घर का इकलौता चिराग़ बुझ जा रहा था झारखंड के धनबाद में तो एक ही परिवार के पाँच लोग मर गए तो छठा मौत से संघर्ष कर रहा था। 
दरअसल कतरास के चौधरी परिवार की सबसे बुजुर्ग महिला 27 जून को एक शादी समारोह में शामिल होने दिल्ली गई थीं. वहां से लौटने के बाद जब 90 साल की वृद्ध महिला की तबियत बिगड़ी तो अस्पताल में पता चला महिला कोरोना संक्रमित हैं. इलाज के बाद भी महिला को नहीं बचाया जा सका और 4 जुलाई को उनकी मौत हो गई.
इसके बाद जब पूरे परिवार और महिला के बेटों की जांच की गई तो दो बेटे संक्रमित पाए गए और इलाज के दौरान उनकी भी मौत हो गई. इसके बाद संक्रमण की वजह से महिला के दो और बेटे बीमार पड़ गए. कोरोना का डर और डिप्रेशन में जाने की वजह से उन्होंने भी दम तोड़ दिया.
सिर्फ 12 दिनों के भीतर इस परिवार में कोरोना वायरस से पांच लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं महिला का पांचवां बेटा भी कोरोना संक्रमित पाया गया है और उसे राजधानी रांची के रिम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया है.परिवार के सबसे वृद्ध महिला की मौत के बाद धनबाद में उनके आसपास रहने वाले 70 से ज्यादा लोगों की जांच की गई थी. इसी दौरान मृतक महिला के तीन बेटे भी संक्रमित पाए गए थे. महिला के दो बेटे पहले से ही हृ्दय और फेफड़े संबंधी रोग से ग्रसित थे.
इस परिवार के एक बेटे की मौत धनबाद के सरकारी अस्पताल में हो गई जबकि दूसरे की कोविड स्पेशल अस्पताल और तीसरे बेटे की मौत रांची के रिम्स अस्पताल में हुई. चौथे बेटे की जांच रिपोर्ट निगेटिव आई थी लेकिन उसे सांस लेने में दिक्कत हो रही थी. इसके बाद उसे जमशेदपुर के टाटा मेमोरियल अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां उसकी भी मौत हो गई. महिला का छठा बेटा अभी दिल्ली में है.
जिस वृद्ध महिला की सबसे पहले मौत हुई वो दिल्ली में रह रहे अपने पोते की शादी में शामिल होने के लिए गई थी. परिवार से सबसे बड़ी गलती ये हुई कि कोरोना से मौत के बाद ICMR के दिशा-निर्देशों की जगह सामान्य तरीके से अंतिम संस्कार किया गया जिससे दूसरों में भी संक्रमण फैल गया.
इधर कोरोना को लेकर सत्ता की राजनीति भी बाहर आने लगी । गिरीश मालवीय लिखते हैं-ये पोस्ट पढ़ लीजिए कोरोना के पीछे की राजनीति समझ आ जाएगी
एक छोटे से सवाल का जवाब दे दीजिए.... एक ऐसी बीमारी को जिसके 80 प्रतिशत मरीजो को बीमारी के कोई लक्षण ही नही है यानी वह कब संक्रमित हुए ? कब ठीक हो गए उन्हें खुद को ही पता नही चला ?......तो ऐसी बीमारी को आप बीमारी कैसे कह रहे हो ?.......
एसिंटोमेटिक मरीजों को मरीज मानना बन्द कर दीजिए, एक झटके में कोरोना मरीजो की संख्या घट जाएगी .......चीन ने ठीक यही किया है और वहाँ कोरोना के केस आने लगभग बन्द हो गये है.......आज वहाँ की अर्थव्यवस्था ने 3.2 की विकास दर दर्ज की है .......चीन सब काम कर रहे हैं औद्योगिक उत्पादन रफ्तार पकड़ चुका है........यहाँ सब बन्द है.........
लेकिन आप की औकात नही है कि आप चीन सरीखा बोल्ड डिसिजन ले पाओ  क्योकि आपकी ICMR दरअसल WHO की गुलाम बनी हुई है
मालिक जब निर्देश देता है तब लॉक डाउन लगाया जाता है
मालिक बोलता है टेस्टिंग कम करके दो महीने के लॉक डाउन को सफल बता दो !....गुलाम ठीक वही करता है .........
मालिक बोलता है टेस्टिंग बढ़ा कर अनलॉक को असफल करो लोगो के दिमाग मे डालो कि लॉक डाउन दुबारा लगाना जरूरी है गुलाम ठीक वही करता है ........
इनका सबसे जबरदस्त टूल है मीडिया
पैनिक कितना क्रिएट करना है ? कब क्रिएट करना है ? कैसे क्रिएट करना है ?.... यह दुनिया के चंद लोग डिसाइड कर रहे हैं, उन्ही का मीडिया पर कब्जा है......आप उनका नाम नही ले सकते उनके प्रतिनिधि दुनिया की हर सरकार में है सिर्फ केंद्र सरकार में ही नही राज्य सरकार में भी......वे बहुत ताकतवर है वे ही चुनाव जितवाते है वो ही चुनाव हरवाते है .......
ये सारा डेटा का खेल है .....मीडिया सिर्फ आपको डेटा दिखाता है स्थानीय सरकार जैसा चाहिए वैसा मैन्युपुलेशन लोकल डेटा में कर देती है कभी वह किल कोरोना जैसा अभियान चलाकर टेस्टिंग की संख्या बढ़ा देती है कभी पिछले महीने हुई मौतों को उस महीने में न दिखाकर इस महीने में हुई मौतो में जोड़ देती है 
नतीजा ये होता है कि वो जो दिखा रहे होते है वही आप देख रहे होते हो , न आप इससे अधिक देखना करते हो न सोचना पसंद करते हो.......जो आपको इसकी असलियत बताए आप उस पर हँसने लगते हो
वे आपको सोशल मीडिया पर ब्लॉक कर देंगे यदि आप कोरोना के इलाज की ऑल्टरनेटिव पैथी पर बात करोगे लेकिन वे आपको तब ब्लॉक नही करेंगे जब आप ऐसी तस्वीरें पोस्ट करोगे जिसमें लाशों को गढ्ढो में फेंकते हुए दिखाया होगा, जिसमे स्वास्थ्यकर्मियों पर हमला होते दिखाया होगा, जिसमे सड़क पर चलते लोगो अचानक गिर कर मरते दिखाया होगा......
चूंकि आप वही काम कर रहे जो उनका गोल है इसलिए वो आपको ब्लॉक नही करेंगे आप पैनिक फैलाओ आप समुदायो के बीच घृणा फैलाओ आप ब्लॉक नही किये जाओगे लेकिन आप वेक्सीन की गड़बड़ियां उजागर कर दो , आप उनकी महंगी दवाइयों पर सवाल उठा दो आप लिख दो कि इसका इलाज तो होमियोपैथी से भी हो सकता है आपको चेतावनी दी जाएगी आप ब्लॉक हो जाओगे
वर्ल्ड वाइड पैनिक क्रिएट करने के पीछे, वैक्सीन को एकमात्र उपाय ओर इम्युनिटी पासपोर्ट की तरह प्रजेंट करने के पीछे एक बहुत राजनीति  है जो आज आपकी समझ मे नही आएगी लेकिन कुछ साल बाद शायद आप समझ जाओ...।

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