लाकडाउन -38
भारतीय वैज्ञानिकों का भी मानना है कि वायु प्रदूषण का कोरोना की उच्च मृत्यु दर से सीधा संबंध है। हवा में प्रति घन मीटर एक माइक्रोग्राम पीएम कणों की बढ़ोतरी से कोरोना से मृत्यु का खतरा आठ फीसदी तक अधिक हो जाता है। क्लाईमेट ट्रेंड द्वारा आयोजित एक वेबिनार में गुरुवार को विशेषज्ञों ने हार्वड यूनिवर्सिटी और इटली में हुए शोधों से सहमति जताई। लंग केयर फाउंडेशन के डॉ. अरविंद कुमार ने कहा कि विश्व के तमाम देशों में इस प्रकार के शोध हुए हैं। इटली में हुए ताजा शोध के मुताबिक पीएम 2.5 में हर एक माइक्रो ग्राम प्रति घन मीटर की वृद्धि के साथ कोविड 19 से मृत्यु का खतरा आठ फीसदी तक बढ़ सकता है।
कुमार ने कहा कि इस बीच राहत की बात यह है कि तालाबंदी से हवा साफ है इसलिए फेफड़ों से जूझते मरीजों का थोड़ी राहत मिली है। लेकिन जैसे ही यह खतरा बढ़ेगा, मरीजों की स्थिति फिर बिगड़ सकती है।
इस मौके पर आईआईटी कानपुर के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रमुख डा. एस एन त्रिपाठी ने बेहद महत्वपूर्ण जानकारियां साझा की। उन्होंने दिल्ली की हवा पर केंद्रित पांच रिसर्च पेपर्स की मदद से इस बात को साबित किया कि किस प्रकार वायु प्रदूषण एक बड़ी जन स्वास्थ्य समस्या बन चुका है। इसलिए प्रदूषण को नियंत्रित करने की नीतियां प्रशासनिक नहीं वैज्ञानिक होनी चाहिए।
क्लाइमेट ट्रेंड्स की निदेशक आरती खोसला ने कहा कि कहा कि आईआईटी कानपुर के शोध में वाहनों से लेकर निर्माण कार्य तक से होने वाले प्रदूषण के गहन आंकड़े हैं, उनका इस्तेमाल नीति निर्माण में होना चाहिए।
इंडिया क्लाईमेट कोलोब्रैटिव की श्लोका नाथ ने प्रदूषण डेटा की कमी को उजागर करते हुए कहा कि देश में वायु प्रदूषण के डेटा की कमी को दूर करने के लिए 4000 मोनिटरिंग स्टेशन चाहिए। इसको पूरा करने में 10000 करोड़ रुपये का खर्च आयेगा। लेकिन इस दिशा में अपेक्षित कार्य नहीं हो रहा है।
इधर गुरुवार को भारत में कोरोना संक्रमण के 45,720 मामले दर्ज किए गए. रोज़ रिपोर्ट होने वाले संक्रमण के मामलों की संख्या के लिहाज से ये अब तक का सबसे बड़ा रिकॉर्ड है.
इसके साथ ही भारत में कोरोना संक्रमितों की संख्या 12 लाख से ज़्यादा हो गई है. केंद्रीय स्वास्थ्य एंव परिवार कल्याण मंत्रालय ने बताया कि गुरुवार को 1129 और लोगों की मौत इस महामारी के कारण हुई है.
भारत में कोरोना संक्रमितों की कुल संख्या 12,38,635 है. इसमें 426,167 सक्रिय मामले हैं जबकि 782,606 मरीज संक्रमण के बाद ठीक हो चुके हैं.
देश में इस महामारी ने अब तक 29,861 लोगों की जान भी ली है. महाराष्ट्र देश में कोरोना महामारी से सबसे ज़्यादा प्रभावित राज्य बना हुआ है. यहां संक्रमण के 347,502 मामले हैं.
तमिलनाडु में 192,964 तो दिल्ली में संक्रमण के 126,323 मामले अब तक दर्ज किए जा चुके हैं.
इंडियन काउंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च के मुताबिक़ 22 जुलाई तक देश में 150,75,369 सैंपल्स टेस्ट किए गए थे जिसमें 350,823 सैंपल्स की कोरोना जांच बुधवार को हुई.
उत्तर प्रदेश में पिछले 24 घंटे में कोरोना संक्रमण के 2529 मामले दर्ज किए गए. यहां कोरोना के 21,003 सक्रिय मामले हैं.
राज्य में 35,803 लोगों को संक्रमण के बाद अस्पताल से छुट्टी दी जा चुकी है.
उत्तर प्रदेश के मुख्य स्वास्थ्य सचिव अमित मोहन प्रसाद ने बताया कि राज्य में इस महामारी के कारण 1298 लोगों की जानें गई हैं.
वहीं चीनी सरकारी मीडिया का कहना है कि एक दवा कंपनी द्वारा बनाई जा रही कोरोना वैक्सीन इस साल के आख़िर तक तैयार हो सकती है.
चाइना नेशनल फार्मासुटिकल ग्रूप सिनोफार्म के चेयरमैन लियु ज़िन्गझेन ने कहा है कि वैक्सीन के ह्यूमन ट्रायल जारी है और उम्मीद है कि अगले तीन महीनों में ये ट्रायल पूरे कर लिए जाएंगे.
सिनोफार्म की एक ईकाई चाइना नेशनल बायोटेक ग्रूप ने कहा है कि चीन में अब कोरोना संक्रमण के मामले कम है जिस कारण यहां वैक्सीन की टेस्टिंग के लिए लोगों की तलाश करना मुश्किल हो रहा है. हालांकि इस वैक्सीन का ट्रायल फिलहाल चीन से बाहर दूसरे देशों में चल रहा है जिनमें संयुक्त अरब अमीरात भी शामिल है.एक अन्य चीनी कपंनी सिनोवैक बायोटेक ब्राज़ील में अपने वैक्सीन की टेस्टिंग कर रही है.
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