लाकडाउन -42
40 नजर उठाओ तो खौफ का, मंजर नजर आता है। झील सी आंखो मे, समन्दर नजर आता है। ठहरी सी है जिन्दगी, कोरोना के भय से। घर मे भी मौत का, बवंडर नजर आता है। जो हाथ रोजी रोटी, कमाते थे काम कर के। वही हाथ आज डरा सहमा, घर के अंदर नजर आता है। राम जाने क्या होगा आगे, असमंजस नजर आता है। क्या दिन थे वह भी सकून के, आज बंजर नजर आता है। पशुपति नाथ सिंह की यह कविता कोरोना के ख़ौफ़ की बानगी है भारत अब मौत के मामले में भी छठे नम्बर पर पहुँच गया है और छत्तीसगढ़ में लाकडाउन छः अगस्त तक बढ़ा दी गई है दुनियाभर में कोरोना वायरस का तांडव जारी है. पिछले 24 घंटे में दुनिया में 2.12 लाख नए मामले सामने आए, जबकि 3989 लोगों की मौत हो गई. कोरोना संक्रमण के आंकड़ों पर नजर रख रही वेबसा...