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जुलाई, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

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40 नजर उठाओ तो खौफ का, मंजर नजर आता है। झील सी आंखो मे, समन्दर नजर आता है।             ठहरी सी है जिन्दगी,            कोरोना के भय से।            घर मे भी मौत का,            बवंडर नजर आता है। जो हाथ रोजी रोटी, कमाते थे काम कर के। वही हाथ आज डरा सहमा,  घर के अंदर नजर आता है।             राम जाने क्या होगा आगे,             असमंजस नजर आता है।             क्या दिन थे वह भी सकून के,              आज बंजर नजर आता है। पशुपति नाथ सिंह की यह कविता कोरोना के ख़ौफ़ की बानगी है भारत अब मौत के मामले में भी छठे नम्बर पर पहुँच गया है और छत्तीसगढ़ में लाकडाउन छः अगस्त तक बढ़ा दी गई है दुनियाभर में कोरोना वायरस का तांडव जारी है. पिछले 24 घंटे में दुनिया में 2.12 लाख नए मामले सामने आए, जबकि 3989 लोगों की मौत हो गई. कोरोना संक्रमण के आंकड़ों पर नजर रख रही वेबसाइट वर्ल्डोमीटर के मुताबिक, दुनियाभर में अबतक एक करोड़ 66 लाख से ज्यादा संक्रमण के मामले आ चुके हैं, जबकि मरने वालों की संख्या साढ़े 6 लाख के पार पहुंच गई है. अभी तक 6 लाख 55 हजार से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है. वहीं इस बीमारी से ठीक होने वाले मरी

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39 अब रोज़ पचास हज़ार। हाँ भारत में कोरोना का आँकड़ा ऐसा ही बढ़ रहा है और इस रफ़्तार ने लोगों मे भय पैदा कर दिया है । सत्ता किस क़दर इससे भाग रही है वह खुलकर सामने आने लगा है। यहाँ तक कि पार्टी से जुड़े कार्यकर्ताओ पर भी ध्यान देने की बजाय सत्ता अपने में मशगूल है। गुजरात में कोरोना वायरस का प्रकोप जारी है. अब तक गुजरात में कोरोना वायरस से 2,326 लोगों की मौत हो चुकी है. यह आंकड़ा देश के दूसरे कई राज्यों में कोरोना से होने वाली में मौतों से ज्यादा है. गुजरात में कुछ ऐसे भी मामले सामने हैं, जिनमें इलाज से पूरी तरह ठीक होने के बाद मरीजों को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी, लेकिन बाद में उनकी मौत हो गई. हाल ही में ऐसा ही एक मामला सूरत में सामने आया, जिसमें सूरत म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन द्वारा संचालित सीमर अस्पताल में इलाज के बाद एक 70 वर्षीय महिला को छुट्टी दे दी गई थी. उसकी कोरोना जांच की रिपोर्ट भी निगेटिव आ चुकी थी, लेकिन घर पहुंचने से पहले ही उसकी मौत हो गई. इस घटना से मृतक का परिवार सदमे में है. डॉक्टर भी इस महिला की मौत से हैरान हैं. इसके अलावा अहमदाबाद में भी ऐसा मामला कुछ दिन पहले सामने

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38 चीन के वुहान से निकला कोरोना वायरस हर दिन अपना रूप बदल रहा है। कोरोनावायरस अब कान में भी हो सकता है। कोरोनावायरस कान और इसके पीछे वाली मेस्टॉयड हड्डी को भी संक्रमित कर सकता है। इसके 2 मामले अमेरिकी शोधकर्ताओं के सामने आए हैं। शोधकर्ताओं के मुताबिक, रिसर्च के दौरान 3 संक्रमित मृतक में से 2 के कान और इसके पीछे वाले हिस्से में कोरोनावायरस मिला है। कोरोनावायरस शरीर के अंदरूनी किसी भी हिस्से तक पहुंच सकता है। यह नाक, गला और फेफड़ों को संक्रमित कर सकता है। कान में कोरोना के मिलने की बात चौंकाने वाली है। भारत में कोरोना वायरस का संक्रमण विकराल रूप लेता जा रहा है. देश में संक्रमितों की संख्या अब 13 लाख के पार पहुंच गई है. स्वास्थ्य मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, देश में अबतक 13 लाख 36 हजार 861 लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं. इनमें से 31,358 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 8 लाख 49 हजार ठीक भी हुए हैं. चार लाख 56 हजार लोगों का अस्पताल में इलाज जारी है. पिछले 24 घंटों में कोरोना वायरस के 48 हजार 916 नए मामले सामने आए और 757 लोगों की मौतें हुईं. कोरोना संक्रमितों की संख्या के हिसाब से भ

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37 कोरोना नाम की लूट है, लूट सके तो लूट! की तर्ज़ पर आजकल हर कोई आपदा को अवसर में बदलने की कोशिश में लगा है। चूँकि कोरोना को लेकर विश्व स्वस्थ संगठन में भी रोज़ नए नए गाइड लाईन आ रहा है इससे लूट करने वालों को मौक़ा भी मिलने लगा है । जबकि केंद्र सरकार ने राज्यों पर ज़िम्मेदारी डालकर निश्चिन्त हो गई है. और कोरोना का क़हर लगातार बढ़ रहा है। छत्तीसगढ़ के 12 जिलों में अब लॉकडाउन हो गया है। बालोद और राजनांदगांव में भी शुक्रवार से सब बंद कर दिया गया। जांजगीर में कल से और कोंडागांव में 25 जुलाई से लॉकडाउन होगा। इन सबके बीच कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं। बावजूद इसके लोग नहीं माने रहे। रायपुर में पुलिस ने बर्थडे पार्टी मनाते एक प्राइवेट बैंक की डिप्टी मैनेजर सहित 9 लोगों को गिरफ्तार किया है। वहीं अंबिकापुर में नियमों को तोड़ने पर 21 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।  संसदीय कार्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें वह एक निजी कंपनी का 'भाभी जी' पापड़ को लांच करते दिख रहे हैं. दरअसल, इस वीडियो में पापड़ को लांच करते वक्त वह यह कहते दिख

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36 कोरोना को लेकर जिस तरह से रोज़ नई नई ख़बरें आ रही है वह भी हैरान - परेशान करने वाली है । राज्यों की बदहाल होती स्थिति के बीच केंद्र सरकार की इस पर चुप्पी से लोगों की नाराज़गी सोशल मीडिया पर साफ़ देखी जा रही है । लेकिन सत्ता की रईसी तो अपना एजेंडा पूरा करने में ही लगी है ।  भारतीय वैज्ञानिकों का भी मानना है कि वायु प्रदूषण का कोरोना की उच्च मृत्यु दर से सीधा संबंध है। हवा में प्रति घन मीटर एक माइक्रोग्राम पीएम कणों की बढ़ोतरी से कोरोना से मृत्यु का खतरा आठ फीसदी तक अधिक हो जाता है। क्लाईमेट ट्रेंड द्वारा आयोजित एक वेबिनार में गुरुवार को विशेषज्ञों ने हार्वड यूनिवर्सिटी और इटली में हुए शोधों से सहमति जताई। लंग केयर फाउंडेशन के डॉ. अरविंद कुमार ने कहा कि विश्व के तमाम देशों में इस प्रकार के शोध हुए हैं। इटली में हुए ताजा शोध के मुताबिक पीएम 2.5 में हर एक माइक्रो ग्राम प्रति घन मीटर की वृद्धि के साथ कोविड 19 से मृत्यु का खतरा आठ फीसदी तक बढ़ सकता है। कुमार ने कहा कि इस बीच राहत की बात यह है कि तालाबंदी से हवा साफ है इसलिए फेफड़ों से जूझते मरीजों का थोड़ी राहत मिली है। लेकिन जैसे ही यह ख

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35 अब भाजपा के बड़े बड़े नेता कहने लगे हैं कि लॉकडाउन कोरोना का इलाज नहीं है लेकिन वे भूल जाते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी ने ही इस देश पर अचानक लॉकडाउन लादा था । और ये सब आनन फ़ानन में इसलिए किया था ताकि मध्यप्रदेश में सरकार बनाने का लोभ को दबाया जा सके । जिस सत्ता ने इन छः सालों में केवल अपनी रईसी की परवाह करते हुए कई पीयुसी बेच दी और राज्यों की सत्ता हासिल करने सत्ता की ताक़त और नफ़रत की राजनीति को प्रमुखता दी उससे आम लोगों की हित की बात ही बेमानी है । जबकि अभी भी ऐसी घटनाएँ हो रही है जो सत्ता के चरित्र पर सवालिया निशान है।  कोरोना के खौफ की एक घटना राजधानी रायपुर में मंगलवार सुबह देखने को मिली। जहां एक वृद्ध महिला पड़ी हुई थी। जिसके बाद राहगीरों ने इसकी सूचना पुलिस और 108 एंबुलेंस को दी। खबर मिलते ही एंबुलेंस घटना स्थल पर पहुंच गई. लेकिन महिला को ले जाने से इनकार कर दिया। कर्मचारियों  ने कहा-जब तक महिला की कोरोना जांच नहीं हो जाती, हम उसको उठाकर एंबुलेंस में नहीं ले जा सकते हैं। वृद्ध तड़पती रही और दर्द से कहारती रही, लेकिन एंबुलेंस कर्मचारियों ने उसको छुआ तक नहीं। इसके बाद वह खाली गाड

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34 केंद्र का अनलॉक कई राज्यों को भारी पड़ने लगा था और कोरोना के घातक रफ़्तार को देखते हुए कई राज्यों में लॉकडाउन शुरू हो गया था । लेकिन केंद्र सरकार अब भी अपने रईसी के बाहर नहीं निकल रही थी । उसे न ख़राब होती अर्थव्यवस्था की चिंता थी और न ही मौत के बढ़ते आँकड़ो का ही परवाह था। बिगड़ते हालात से आम लोग चिंतित थे और वे ही अपील जारी कर रहे थे कि ज़रूरत हो तो ही घर से निकलो। भारत में कोरोना से संक्रमितों की संख्या 11.50 लाख को पार कर गई है। देश में पिछले तीन दिनों से लगातार 34 हजार से अधिक नए मामले सामने आ रहे हैं। इस बीच इंडियन मेडिकल एसोसिएशन  के बयान ने देश की चिंता बढ़ा दी है। आईएमए का कहना है कि भारत में कोरोना शुरू हो चुका है, जिसके मतलब है कि आगे हालात और ज्यादा खराब हो सकते हैं। एएनआई से बात करते हुए आईएमए (हॉस्पिटल बोर्ड ऑफ इंडिया) के अध्यक्ष डॉ वीके मोंगा ने कहा, 'यह अब घातक रफ्तार से बढ़ रहा है। हर दिन मामलों की संख्या लगभग 30,000 से अधिक आ रही है। यह देश के लिए वास्तव में एक खराब स्थिति है। कोरोना वायरस अब ग्रामीण क्षेत्रों में फैल रहा है, जो की एक बुरा संकेत है। इससे पता चल

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33  कोरोना तांडव करने लगा था , और केंद्र की सरकार क्या कर रही है कोई नहीं जानता। मध्यम वर्ग और छोटे व्यापारियों की हालत बदतर होने लगी थी , कहीं कहीं से आत्महत्या की ख़बरें भी आने लगी , लेकिन एक राहुल गांधी को छोड़ समूचा विपक्ष सन्नाटे में था । केंद्रिय सत्ता के ख़ौफ़ में विपक्ष की चुप्पी हैरान कर देने वाला था । लगातार बढ़ते मरीज़ से राज्य सरकारें ज़रूर चिंतित थी और अपने स्तर पर लड़ाई लड़ भी रही थी लेकिन जिस सत्ता ने छः साल में एक अस्पताल तक नहीं खोला था वह अब भी अपनी रईसी बनाए रखने आपदा को अवसर में बदल रही थी । भारत में कोरोना वायरस (Coronavirus in India) से संक्रमितों की संख्या 11 लाख को पार कर गई है। देश में पिछले तीन दिनों से लगातार 34 हजार से अधिक नए मामले सामने आ रहे हैं। इस बीच इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के बयान ने देश की चिंता बढ़ा दी है। आईएमए का कहना है कि भारत में कोरोना का कम्युनिटी स्प्रेड (Community Spread in India) शुरू हो चुका है, जिसके मतलब है कि आगे हालात और ज्यादा खराब हो सकते हैं। सुधीन्द्र मोहन शर्मा ने जो प्रतिक्रिया लिखी है वह भी पढ़ा जा सकता है -सरकारी वायरस और

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32 स्थिति दिनो दिन ख़राब होने लगी थी लेकिन लोगों के सामने जीवन चलाना बड़ा सवाल था इसलिए वे बचाव तो कर रहे थे लेकिन बच नहीं पा रहे थे। मौतों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा था , कई मौतें दिल को दहलाने वाली थी कहीं घर का मुखिया इसकी चपेट में था तो कहीं घर का इकलौता चिराग़ बुझ जा रहा था झारखंड के धनबाद में तो एक ही परिवार के पाँच लोग मर गए तो छठा मौत से संघर्ष कर रहा था।  दरअसल कतरास के चौधरी परिवार की सबसे बुजुर्ग महिला 27 जून को एक शादी समारोह में शामिल होने दिल्ली गई थीं. वहां से लौटने के बाद जब 90 साल की वृद्ध महिला की तबियत बिगड़ी तो अस्पताल में पता चला महिला कोरोना संक्रमित हैं. इलाज के बाद भी महिला को नहीं बचाया जा सका और 4 जुलाई को उनकी मौत हो गई. इसके बाद जब पूरे परिवार और महिला के बेटों की जांच की गई तो दो बेटे संक्रमित पाए गए और इलाज के दौरान उनकी भी मौत हो गई. इसके बाद संक्रमण की वजह से महिला के दो और बेटे बीमार पड़ गए. कोरोना का डर और डिप्रेशन में जाने की वजह से उन्होंने भी दम तोड़ दिया. सिर्फ 12 दिनों के भीतर इस परिवार में कोरोना वायरस से पांच लोगों की मौत हो चुकी है. वही

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31 ये किसी ने नहीं सोचा था कि इस देश में ऐसी भी सत्ता आएगी जो अपने नागरिकों को बिठाकर नहीं खिला पाएगी। और उसे केवल अपनी रईसी बचाने की ही चिंता रहेगी जबकि इस देश के लोगों ने हर आपदा में सत्ता की पूरी निष्ठा के साथ हमेशा ही मदद की है । यहाँ तक कि सत्ता के आह्वान पर उपवास भी रखा है और अपने घर के ज़ेवर तक दिए हैं। लेकिन वर्तमान हालात में सत्ता ने साफ़ कर दिया है कि वह कुछ नहीं करेगी जिसे अपना जीवन बचाना है वे ख़ुद ही कुछ कर ले। हैरत की बात तो यह भी है कि अपनी सत्ता की रईसी के लिए 23 कम्पनी बेच चुकी सत्ता , एक बार फिर आधा दर्जन कम्पनियों को बेचने की योजना में व्यस्त है और देश की बदतर होती हालत पर जनप्रतिनिधि अपना वेतन छोड़ने तैयार नहीं है । आपदा को अवसर में बदलने की सोच के चलते आम आदमी के सामने जीवन मरण का प्रश्न खड़ा हो गया है लेकिन सत्ता अभी भी सरकार बनाने बिगाड़ने का खेल खेल रही है । कृष्ण कांत कहते हैं- सचिन पायलट सौम्य छवि के योग्य नेता माने जाते हैं. वे उप-मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष थे. उनके राज्य में करीब 28,000 केस हैं. लेकिन वे मुख्यमंत्री बदलने और सत्ता हथियाने का खेल खेल रहे ह

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30 कोरोना के इस बढ़ते मामले पर एक सवाल तो होना ही चाहिये कि आख़िर सत्ता क्या कर रही है ? राज्य की सरकारें तो फिर भी कुछ कर ही ले रही है लेकिन केंद्रिय सरकार का कहीं पता नहीं है और न ही सरकार में बैठे मंत्री ही कुछ बोल रहे हैं सांसद तो ऐसे दुबक के बैठे हैं मानो वे आइसोलेशन में हो । और आम आदमी अपने जीवन संघर्ष में लगा है , तब भला कोरोना का प्रभाव तो बढ़ेगा ही । हालाँकि यह बात कई लोग कह चुके हैं कि केंद्रीय सत्ता को अपनी रईसी से फ़ुर्सत नहीं है इसलिए उससे कोई उम्मीद ही नहीं करनी चाहिए । भारत में कोरोना वायरस के कुल मामले दस लाख का आंकड़ा पार कर चुके हैं. दुनिया में ये आंकड़ा पार करने वाला भारत सिर्फ तीसरा देश है. देश में कोरोना वायरस के मामले काफी तेजी से बढ़ रहे हैं और हर रोज 35 हजार के करीब मामले दर्ज किए जा रहे हैं. जैसे-जैसे टेस्टिंग बढ़ रही है, वैसे-वैसे ही हर रोज नए रिकॉर्ड बनते और टूटते हुए दिख रहे हैं. महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश समेत ऐसे कई राज्य हैं जहां पर हर रोज हजारों की संख्या में केस आ रहे हैं, जो देश में आने वाले वक्त में कोरोना वायरस की लड़ाई को और भी मुश्

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29 एक तरफ़ पूरी दुनिया के सभी देश की सत्ता कोरोना से लड़ने का उपाय ढूँढ रहे थे या अपनी जनता के साथ खड़ी थी तो भारत में सत्ता अपनी रईसी बरक़रार रखने का उपाय ढूँढ रही थी। सरकार के पास आर्थिक संकट के हालात थे और अब तक 23 कम्पनी को बेच चुकी सत्ता पैसे का प्रबंध करने डिफ़ेंस , स्पेस और कृषि जैसे पर नज़र लगा चुकी थी, रेलवे हवाई जहाज़ जैसी चीज़ें तो बच नहीं रही और ये सब सत्ता की रइसी बचाने की जा रही  थी। हैरानी की बात तो यह भी है कि समाज सेवा का दावा करने वाले जनप्रतिनिधि अपना एक माह  वेतन तक छोड़ने तैयार नहीं हैं। कोरोना वायरस ने दुनियाभर के 200 से ज्यादा देशों को अपनी चपेट में ले लिया है। हर दिन कोरोना संक्रमण और इससे होने वाली मौतों का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है। इस महामारी से निजात पाने के लिए पूरी दुनिया को कोरोना वायरस की वैक्सीन का इंतजार है। भारत, अमेरिका, ब्रिटेन, चीन, रूस समेत दुनियाभर के वैज्ञानिक इसकी वैक्सीन तैयार करने में लगे हैं। कई देशों में इसकी वैक्सीन बन चुकी है, जिनका ह्यूमन ट्रायल चल रहा है। कई वैक्सीन तो अंतिम चरण के ट्रायल में हैं। ट्रायल के दौरान सकारात्मक परिणाम आने से

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28 इस मुश्किल दौर में भी केंद्र सरकार की रीति नीति को लेकर सवाल नहीं उठाए जा रहे हैं तो इसकी वजह सत्ता की रईसी है जो कोई भी दल के नेता नहीं छोड़ना चाहते जबकि आम जनमानस ख़ासकर मध्यम वर्ग लाचारी से मुँह ताक रहा है । सोशल मीडिया में सरकार की रीति नीति को लेकर कोई तंज कस रहा है तो कोई व्यंग लेकिन सत्ता अपने में मस्त है। अब सभी कह रहे हैं कि आने वाला समय बेहद मुश्किल भरा होगा ।  विशाल शर्मा का पोस्ट देखिए आप को भी मज़ा आएगा  देश रंगीला... रंगीला देश मेरा रंगीला     देश में हर दिन घटती इतनी सारी नौटंकियां कि जब से कोरोना आया हैं उसे भी मजा आने लगा होगा कि मेरे आने पर किसी ने भाव ही नहीं दिया क्योंकि उस समय तो महाराज और उनके पट्ठों की बैंगलुरू में आवभगत चल रही थी फिर मामाश्री (हाँ वही बिना मास्क वाले) कहने को जैसे तैसे मुख्यमंत्री बने तब जा कर चैनल वालो ने कोरोना को TRP दी लेकिन फिर कभी जमाती आगे तो मौलाना पीछे फिर कभी नेपाल तो कभी चीन बीच बीच में कोरोना , फिर तो कोरोना को भी देखने में मजा आने लगा कि वाह यार यहां तो एक दिन बोर नही हो सकते कि जैसा एक अमेरिकी इतिहासकार ने सही बोला था कि भारत एक

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27 कोरोना के चलते एक बार फिर छत्तीसगढ़ सहित कई राज्यों में लॉकडाउन करना पड़ रहा था लेकिन ये पूरा लॉकडाउन नहीं था। शाम सात बजे के बाद से लॉकडाउन किया गया जबकि हालात चीख़ चीख़ कर कह रहे थे कि कुछ भी ठीक नहीं है और जल्द ही कोई कठोर क़दम नहीं उठाए गए तो हालत बदतर हो सकता है ।  देश में हर तीन दिन में एक लाख केस होने लगा तो मौत भी पाँच सौ से अधिक हो रहा था , जबकि दूसरी तरह की समस्याए भी आने लगी थी , लेकिन अभी भी सरकार किसी तरह का ठोस उपाय नहीं कर पा रही थी । अस्पताल से लेकर बाज़ार और शहर से लेकर गाँव तक कोरोना का असर तो था लेकिन लोगों के पास कोई उपाय भी नहीं था। कोरोना वायरस के चलते लगाए गए लॉकडाउन का असर स्वास्थ्य सुविधाओं पर भी पड़ा है. एक तरफ़ अस्पतालों पर दबाव बढ़ गया तो दूसरी तरफ़ लोग स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित रह गए. इसका असर महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य पर भी हुआ और उन्हें गर्भपात और गर्भनिरोध की पर्याप्त सुविधाएं नहीं मिल पाईं. इसके चलते उन्हें गर्भपात के असुरक्षित तरीक़ों का रुख़ करना पड़ा. आईपास डिवेलपमेंट फाउंडेशन की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ लॉकडाउन के तीन महीनों (25 मार्च से 24 जून